इस कविता से हमें निम्न में सीख मिली

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संक्षेप में, यह कविता एक शक्तिशाली चेतावनी है कि प्रेम को हमेशा शुद्ध, पवित्र और जीवनदायक होना चाहिए, न कि विनाशकारी। यह हमें रिश्तों के महत्व, निर्णयों के परिणामों और माता-पिता के रूप में हमारी जिम्मेदारियों को समझने के लिए प्रेरित करती है।
कुल मिलाकर, कवि गोकुलानंद जोशी इस कविता के माध्यम से मानवीय रिश्तों की जटिलता, प्रेम के सच्चे अर्थ, पारिवारिक जिम्मेदारियों और नैतिक मूल्यों के महत्व पर गहरा चिंतन प्रस्तुत करते हैं। वे समाज को चेतावनी देना चाहते हैं कि यदि हम इन मूल्यों की उपेक्षा करेंगे, तो इसके परिणाम अत्यंत विनाशकारी हो सकते हैं।
प्यार में अंधी लड़की

प्यार में अंधी हुई एक लड़की,
प्रेम की प्यास में सुहाग को मार दी गोली।

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क्यों बनी तू इतनी निर्दय?
क्यों छीन लिया बुढ़ापे का दीपक?
क्या बिगाड़ा था उसने तेरा?
क्यों उतारा उसे मौत के घाट?

हे निर्दय!
तूने मां-बाप से उनका बेटा छीना,
बहन से उसका प्यारा भाई छीना,
भाभी से देवर का सहारा छीन लिया,
भाई से भाई को तूने दूर कर दिया।

सब कुछ तूने एक पल में मिटा डाला।
किसी को डाला ड्रम में,
किसी को मारा जंगल में,
किसी के किए इक्‍कीस टुकड़े,
किसी को फेंका गहरी खाई में।

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इतनी निष्ठुर कैसे हो गई तू?
क्या तेरे हाथ भी न कांपे?
प्रेम के चक्कर में तूने सब कुछ मिटा डाला,
बेटा-बेटी के सिर से पिता की छाया छीन ली।

अब मत पूछो —
घर-गृहस्थी का क्या हुआ?

एक बात है जो ज़रूरी,
दिल की बात जो रह गई अधूरी।
कहीं किसी पर दिल तो न लगा बैठी?

अब एक सवाल मां-बाप से भी —
जब बेटी को किताब दी थी हाथों में,
तब क्यों न समझा मन का भटकाव?

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बेटी को इश्क हुआ स्कूल के विद्यार्थियों से,
कहां थे तुम उस वक्त?

क्यों न रखा बेटी पर ध्यान,
जो आज देखना पड़ा ऐसा दिन?

पिता ने तो चुना था एक दूल्हा,
बोला — “यह तुझे भाएगा।”
पर जब मनचाहा साथी न मिला,
तो क्यों उठाया ऐसा क़दम?

प्यार में अंधी हुई एक लड़की,
प्रेम की व्याकुलता में सुहाग को मार दी गोली।
कवि गोकुलानन्द जोशी
पता – करासमाफ़ी काफलीगैर बागेश्वर
वर्तमान पता -बिंदुखत्ता लालकुआं नैनीताल