लालकुआं नगर पंचायत चुनाव: परिवारवाद और आरक्षण पर गरमाई सियासत, कांग्रेस पर भाजपा का निशाना

लालकुआं। नगर पंचायत चुनाव में जैसे-जैसे मतदान का दिन करीब आ रहा है, सियासी बयानबाजियां तेज हो गई हैं। भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए पार्टी को परिवारवाद और पैराशूट प्रत्याशियों की राजनीति से जोड़ दिया है।
परिवारवाद पर निशाना
विधायक बिष्ट ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लालकुआं में यदि नगर पंचायत सीट सामान्य रही तो नेता खुद मैदान में उतरेंगे, यदि सीट महिला आरक्षित हुई तो उनकी धर्मपत्नी चुनाव लड़ेंगी, और अगर सीट ओबीसी आरक्षित हुई तो पुत्रवधू को प्रत्याशी बनाया जाएगा। यह परिवारवाद का स्पष्ट उदाहरण है, जिससे पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं का हक छीना जा रहा है।
स्थानीयता बनाम पैराशूट प्रत्याशी
मोहन सिंह बिष्ट ने कांग्रेस प्रत्याशी पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी जमीनी पकड़ कमजोर है और वे स्थानीय मुद्दों से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने स्थानीय नेता के बजाय एक पैराशूट प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया है, जिसे लालकुआं की भौगोलिक स्थिति और वार्डों के नाम तक का ज्ञान नहीं है।
आरक्षण और ओबीसी के हक पर आरोप
विधायक ने कांग्रेस पर ओबीसी आरक्षण के हकदारों का हक छीनने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी लालकुआं में भी आरक्षण का राजनीतिक फायदा उठाने के प्रयास में है।
हरीश रावत जैसे हालात की भविष्यवाणी
विधायक बिष्ट ने विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को जनता ने नकार दिया था, वैसा ही हाल इस बार लालकुआं में कांग्रेस का होने वाला है। उन्होंने कहा कि जनता अब परिवारवाद और कमजोर नेतृत्व को नकारने के मूड में है।
पार्टी में असंतोष और बगावत
विधायक ने दावा किया कि कांग्रेस में एक ही परिवार के लोगों को बार-बार टिकट देने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। यही कारण है कि कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता कांग्रेस को छोड़कर अन्य विकल्पों की ओर रुख कर चुके हैं।
भाजपा का दावा
भाजपा ने स्थानीय नेतृत्व को प्राथमिकता देने की बात कही है। विधायक बिष्ट ने कहा कि लालकुआं की जनता अब जागरूक हो चुकी है और वह स्थानीय नेता को महत्व देती है। यही कारण है कि भाजपा का समर्थन लगातार बढ़ रहा है।
नगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस पर परिवारवाद और पैराशूट प्रत्याशियों के आरोप ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है। भाजपा जहां अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी है, वहीं कांग्रेस को पार्टी के अंदरूनी असंतोष और परिवारवाद के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। 23 जनवरी को होने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपना नेता चुनती है।
