उत्तराखंड : शासन ने बाल विकास परियोजना अधिकारी को किया बर्खास्त,….आदेश जारी

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देहरादून। फर्जी जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के आरोप में महिला बाल विकास विभाग ने यूएसनगर के जसपुर में तैनात बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) लक्ष्मी टम्टा की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। विभाग उनके खिलाफ कानूनी कारवाई भी करने जा रहा है।

विभिन्न स्तरों से हुई जांच के आधार में हुई थी आरोपों की पुष्टि,जाती से थी पंत यानी ब्राह्मण लेकिन पति की जाति टम्टा के आधार पर बनाया था दूसरा प्रमाण पत्र, अब इनसे रिकवरी और अपराधिक धारा में मुकदमा भी दर्ज हो सकता है। निदेशक हरि चंद सेमवाल ने जारी किया आदेश मामला हाईकोर्ट में भी गया था जिसके बाद लिया गया है फैसला।

आदेश – माननीय लोक सेवा अधिकरण उत्तराखण्ड खण्डपीठ नैनीताल के आदेश दिनांक 30-11-2022 में आदेश पारित किया गया है, कि “The impugned order dated 03-09- 2019 (Annexure no 1)Passed by the respondent no.2 is here by set aside,granting liberty to the diciplinary Authorty/Appointing authority to initiate fresh departmental proceedings against the petitioner,in accordance with law and the petitioner be reinstated in service.

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मा० लोक सेवा अधिकरण उत्तराखण्ड के उक्त आदेश दिनांक 30-11-2022 के समादर में श्रीमती लक्ष्मी टम्टा को निदेशालय के आदेश संख्या सी-4827 दिनांक 02 जनवरी 2023 से सेवा में बहाल करते हुये उत्तराखण्ड सरकारी सेवक ( अनुशासन एवं अपील ) नियमावली 2003 एवं तद् संसोधित 2010 के अनुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारम्भ करते हुये, निदेशक / नियुक्ति प्राधिकारी, के आदेश संख्या सी 124 दिनांक 19-04-2023 से निलंबित तथा आदेश संख्या 123 दिनांक 19-04-2023 द्वारा निम्न आरोप अधोरोपित किये गये ।

आरोप संख्या 01 – “जब आप विवाह से पूर्व कुमारी लक्ष्मी पंत सामान्य जाति (उपजाति ब्राह्ममण) के नाम से जानी जाती थी, आपके हाईस्कूल एवं इण्टरमीडियट के शैक्षिक प्रमाण-पत्रों में कुमारी लक्ष्मी पंत अंकित है।

वर्ष 1982 में आपकी शादी श्री मुकेश लाल टम्टा धारमी मुहल्ला थाना बाजार, जिला अल्मोड़ा से होने पर स्नातक कक्षाओं में श्रीमती लक्ष्मी टम्टा लिखा गया।

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आप द्वारा अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से झूठे एवं फर्जी दावे कर सक्षम स्तर से धोखधडी में अनुसूचित जाति ( शिल्पकार ) का प्रमाण पत्र प्राप्त कर इस विभाग में आरक्षण के कोटे से मुख्य सेविका के पद पर 1988 में नियुक्ति पाने एवं वर्ष 2003 में मुख्य सेविका से बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर पदोन्नति में आरक्षण का अनुचित लाभ प्राप्त कर वर्षों से शासकीय सेवा करती आ रहीं है, अतः आपने विधि के नियमों के विपरीत कार्य किया है”।

आरोप संख्या-02- विधि द्वारा स्थापित नियमो के अन्तर्गत आपके जाति प्रमाण पत्र के संबंध में शिकायती पत्र प्राप्त होने पर जिलाधिकारी, अल्मोडा द्वारा जांच कराये जाने के परिणामस्वरूप इस आधार पर कि आप जन्म से अनारक्षित (बाह्मण) श्रेणी की है और आप के द्वारा विवाह के आधार पर अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाण प्राप्त किया गया है।

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जिलाधिकारी, अल्मोड़ा ने अपने आदेश संख्या 4482 दिनांक 16-08-2019 द्वारा आपके संबंध में निर्गत अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया गया है शासनादेश संख्या 22/39/1982 / कार्मिक-2 / दिनांक 17-5-10984 के अनुसार अनारक्षित श्रेणी की महिला यदि किसी आरक्षित श्रेणी के पुरुष से विवाह करती है तो उसे आरक्षित श्रेणी का लाभ अनुमन्य नहीं होगा”।

आरोप से सम्बन्धित साक्ष्य भी उपलब्ध करवाये गये आरोप पत्र के प्रति उत्तर में श्रीमती टम्टा ने समस्त आरोपो को यह कहकर खारिज किया है कि उनके द्वारा कोई कूटरचित दस्तावेज जाति प्रमाण-पत्र हेतु प्रस्तुत नहीं किया गया है।

आरोप पत्र में दिये गये आरोपो को खारिज करने के उपरान्त प्रश्नगत प्रकरण की जांच हेतु अपर जिला अधिकारी (प्रशासन / नजूल ) जनपद ऊधमसिंहनगर को जांच अधिकारी, नामित किया गया।