Uttarakhand UCC: समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में पहला लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्टर

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उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू होने के एक हफ्ते बाद पहला लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) रजिस्टर किया है। वहीं, रजिस्ट्रेशन के लिए 5 और आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनकी जांच की जा रही है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मंगलवार शाम तक सरकार को 6 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से एक को मंजूरी दे दी गई है जबकि अन्य की जांच की जा रही है।

गृह सचिव शैलेश बगोली ने कहा कि आवेदकों का विवरण एन्क्रिप्टेड है और अधिकारी केवल आवेदनों और पंजीकरणों की संख्या देख सकते हैं, जबकि उनका विवरण केवल संबंधित रजिस्ट्रार के पास ही रहेगा। उन्होंने कहा, “सिस्टम सुरक्षित है और हमने पंजीकरण के लिए आवेदन करने वाले जोड़ों की निजी जानकारी के किसी भी उल्लंघन के खिलाफ सावधानी बरती है।”

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रजिस्ट्रेशन कराने वालों में इंटर रिलीजन कपल की जांच

वहीं, दूसरी ओर बजरंग दल के नेता विकास वर्मा ने दावा किया कि उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी है और वे रजिस्ट्रेशन कराने वालों में इंटर रिलीजन कपल की जांच कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि हमें हरिद्वार में एक ऐसा मामला मिला है, जिसमें कपल अलग-अलग धर्मों से हैं। हम लगातार खतरनाक मामलों की तलाश में रहते हैं।” हालांकि, बगोली ने कहा कि किसी तीसरे पक्ष के लिए इस तरह की जानकारी हासिल करना असंभव है।

उत्तराखंड सरकार ने 27 जनवरी को लिव-इन रिलेशनशिप को रेगुलेट करने के लिए यूसीसी नियम लागू किए थे। रजिस्ट्रेशन के लिए कपल को 16 पेज का फॉर्म भरना होगा और धार्मिक नेता से एक सर्टिफिकेट लेना होगा, जिसमें दिखाया जाएगा कि अगर वे चाहें तो शादी करने के योग्य हैं।

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यूसीसी के अनुसार सभी लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर करना जरूरी

उत्तराखंड यूसीसी के अनुसार सभी लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर करना जरूरी है। यह उत्तराखंड में रहने वाले निवासियों और भारत के अन्य स्थानों पर रहने वाले लोगों पर भी लागू होता है। यूसीसी नियमों में, रजिस्ट्रेशन केवल रिकॉर्ड रखने के प्रयोजनों के लिए है और रजिस्ट्रार को इन पंजीकरणों को स्थानीय पुलिस स्टेशनों को भेजना जरूरी है जहां कपल रहते हैं।

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महिला मंच ने उठाए प्राइवेसी पर सवाल
नागरिक समाज के सदस्यों ने प्राइवेसी ब्रीच को लेकर चिंता जताई है। महिला मंच की मल्लिका विरदी ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर लागू किए गए समान नागरिक संहिता के तहत महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आशंकाएं हैं। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने गारंटी दी है कि प्राइवेसी एक अविभाज्य अधिकार है, जब तक कि हिंसा न हो राज्य इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। यूसीसी आपके पड़ोसी सहित किसी को भी शिकायत करने (लिव-इन जोड़ों के खिलाफ) की शक्ति देता है। समाज का एक वर्ग तय करता है कि सार्वजनिक नैतिकता क्या है तो सुरक्षा किस बात की है।”