बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम का दर्जा देने में देरी, विधायक से हस्तक्षेप कर अधिसूचना जारी करने की मांग

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बिंदुखत्ता, उत्तराखंड। वन अधिकार अधिनियम (FRA) 2006 के तहत जिला स्तरीय वन अधिकार समिति द्वारा बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जा चुका है, लेकिन राजस्व विभाग की ओर से अधिसूचना जारी नहीं होने के कारण स्थानीय लोग आक्रोशित हैं।

आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, देशभर के 1,664 और उत्तराखंड के छह गांवों को बिना केंद्रीय वन मंत्रालय की अनुमति के राजस्व ग्राम घोषित किया गया, लेकिन बिंदुखत्ता के मामले में यह प्रक्रिया अधूरी रह गई। इसे वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन और बिंदुखत्ता के साथ सौतेला व्यवहार बताया जा रहा है।

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विधायक से हस्तक्षेप की मांग
भाजपा मंडल अध्यक्ष जगदीश पंत के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने विधायक से हस्तक्षेप कर अधिसूचना जारी कराने और पंचायत चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि अधिसूचना में देरी से बिंदुखत्ता के लोग आगामी पंचायत चुनाव में प्रतिभाग नहीं कर पाएंगे, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होगी।

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विधायक का आश्वासन
विधायक डॉ. मोहन बिष्ट ने कहा कि बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने वन अधिकार समिति के पदाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री और राज्य सचिव से भेंट कर जल्द ही इस कार्य को पूर्ण करने का आश्वासन दिया।

शिष्टमंडल के सदस्य
शिष्टमंडल में भाजपा मंडल अध्यक्ष जगदीश पंत, पूर्व अध्यक्ष कुंदन चुफाल, भरत नेगी, दीपक जोशी, युवा मोर्चा अध्यक्ष मनीष बोरा, वन अधिकार समिति अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी, सचिव भुवन भट्ट, सदस्य उमेश भट्ट, चंचल कोरंगा, पप्पू कोश्यारी, संरक्षक बलवंत बिष्ट, देवेंद्र बिष्ट, पूरन बोरा, कमल जोशी, पूरन शाही, खीम कोरंगा, भवान शाही, मोहन कार्की शामिल रहे।

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बिंदुखत्ता के लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द अधिसूचना जारी की जाए ताकि उन्हें उनका अधिकार मिल सके और वे पंचायत चुनाव में भागीदारी कर सकें। अब देखना होगा कि सरकार और संबंधित विभाग इस पर कितनी जल्दी कार्रवाई करते हैं।